पिता के अंधेरे का उजाला बनी ज्योति

आज हर तरफ बिहार के दरभंगा जनपद के गांव सिरहुल्ली की ज्योति का नाम हर जुबान पर है। गुरुग्राम से अपने बीमार पिता को साइकिल पर बैठाकर बारह सौ किलोमीटर दरभंगा तक ले जाने वाली इस तेरह साल की दुबली-पतली लड़की ज्योति ने किया ही ऐसा कमाल है। ऐसी बेटी पर हर पिता रश्क कर सकता है। हो सकता है कोरोना काल में ऐसी यंत्रणाओं से कई बेटियां गुजरी हों, पैदल चली हों, भूख से बेहाल हुई हों, मगर ज्योति का अदम्य साहस और .......

हॉकी वीर बलबीर को खेलपथ का सलाम

यूं तो हॉकी के महान खिलाड़ी बलबीर सिंह सीनियर को उनके तीन ओलंपिक स्वर्ण पदकों और 1975 में विश्वकप जीत दिलवाने के लिए कृतज्ञ राष्ट्र उन्हें हमेशा याद रखेगा, मगर बलबीर सिंह सीनियर के नजरिये से उनके जीवन की सबसे बड़ी जीत स्वतंत्र भारत द्वारा सैकड़ों साल तक उपनिवेशवाद का दंश देने वाले ब्रिटेन को 1948 ओलंपिक में उसकी धरती पर हराने में थी। तब लंदन के वेंबले स्टेडियम में राष्ट्रगान की धुन के बीच तिरंगे क.......

नरिन्दर बत्रा और राजीव मेहता में ठनी

भारतीय ओलम्पिक संघ में नूरा-कुश्ती का खेल श्रीप्रकाश शुक्ला कहते हैं कि खेल सद्भावना का सूचक होते हैं। खेलों से विश्व बंधुत्व की भावना प्रगाढ़ होती है लेकिन भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा और महासचिव राजीव मेहता के बीच अधिकारों व रसूख को लेकर छिड़ी जंग इस बात को सिरे से खारिज कर रही है। कोरोना संक्रमण से जहां खेलजगत हैरान है वहीं खिलाड़.......

भारतीय ओलम्पिक संघ में नूरा-कुश्ती का खेल

नरिन्दर बत्रा और राजीव मेहता में ठनी श्रीप्रकाश शुक्ला कहते हैं कि खेल सद्भावना का सूचक होते हैं। खेलों से विश्व बंधुत्व की भावना प्रगाढ़ होती है लेकिन भारतीय ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष नरिन्दर ध्रुव बत्रा और महासचिव राजीव मेहता के बीच अधिकारों व रसूख को लेकर छिड़ी जंग इस बात को सिरे से खारिज कर रही है। कोरोना संक्रमण से जहां खेलजगत हैरान है वहीं खिलाड़ियों .......

धन्य हैं बेटियां

श्रीप्रकाश शुक्ला हम बेटियों की जीत पर जयकारे लगाते हैं। हमारी हुकूमतें धनवर्षा करती हैं। वह भी जनता के पैसे से उसके वोटों के लिए। खेल, खिलाड़ी को नियमितता की कसौटी पर रोज परखते हैं। समाज की मिथ्या दलीलों के बाद अनगिनत परेशानियों को पराजित कर जब कोई बेट.......

बेटियां बन रहीं दिल की धड़कन

श्रीप्रकाश शुक्ला बेटियां शुभकामनाएं हैं, बेटियां पावन दुआए हैं। सच कहें तो आज के समय में अजहर हाशमी की इस प्रसिद्ध कविता को भारतीय बेटियां जी रही हैं, सार्थक कर रही हैं। किसी भी क्षेत्र को ले लीजिए आज भारतीय बेटियां हर क्षेत्र में मादरेवतन का मान बढ़ा .......

कर्मठता से ही निकलेगी विजय धुन

आधे-अधूरे कामों को बीच में छोड़कर आगे बढ़ते जाना और बात-बेबात पर ‘चलता है’ का सरसरी अंदाज़ अब लॉकडाउन के दौर के बाद कतई नहीं चलने वाला। बहानेबाज़ी यूं भी बेकार है। कभी ट्रैफ़िक जाम का बहाना, कभी बत्ती गुल का, तो कभी भूलने का। आये दिन लोगबाग समय पर न पहुंचने या काम न करने के बहाने झाड़ते रहते हैं। बिग-बी अमिताभ बच्चन के बारे में जगज़ाहिर है कि वह बुख़ार या दर्द से बेहाल विषम से विषम परि.......

दिव्यांगों को भी मिले समाज का प्यार

समाज के अतिसंवेदनशील वर्गों के प्रति लोगों की उपेक्षा की मानसिकता हमेशा ही एक सामाजिक समस्या के रूप में उभरती रही है। समाज में उचित स्थान व सम्मान पाने के लिए दिव्यांग आज भी संघर्षरत हैं। भारत में दिव्यांग बच्चों को गोद लेने में प्रतिवर्ष हो रही कमी इसी समस्या का दूसरा पहलू है। भारतीय अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, देखभाल व गोद लेने संबंधी प्रक्रियाओं की मानीटरिंग करने वाली नोडल.......

निरंकुश खेल संगठनों का सरकार पर अंकुश

कंगाली में आटा गीला करने का प्रयास श्रीप्रकाश शुक्ला कोरोना संक्रमण के चलते टोक्यो ओलम्पिक एक साल के लिए आगे बढ़ा दिए गए हैं। सम्भावना तो यह भी है कि अगले साल 23 जुलाई से होने वाला खेलों का महाकुम्भ भी नहीं होने वाला। कोरोना महामारी अब तक दुनिया भर के एक दर्जन से अधिक खिलाड़ियों को अपना ग्रास बना चुकी है। भारत सहित अधिकांश देशों में खेल गतिविधियां विराम लेने के चलते खिलाड़ियों का ओलम्पियन बनने का सपना चूर-चूर होता दिख रहा है। मैदानी .......

भारत में खेलों का इतिहास

श्रीप्रकाश शुक्ला भारतीय एथलेटिक्स का इतिहास वैदिक काल से है। हालांकि यह वास्तव में एक रहस्य है जब भारत में बिल्कुल एथलेटिक्स ने अपनी उपस्थिति को एक विशिष्ट खेल के रूप में महसूस किया; हालाँकि यह कहा जा सकता है कि अथर्ववेद के सुस्पष्ट मूल्यों ने भारतीय एथलेटिक्स के अंग को छिन्न-भिन्न कर दिया। वैदिक युग में या बहुत बाद में रामायण और महाभारत की अवधि में, एथलेटिक्स आमतौर पर खेल का एक सामान्य रूप था। रथ रेसिंग, ती.......