मुक्केबाजी संगठनों में चल रही चौधराहट से खिलाड़ियों का नुकसान
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खेल मंत्रालय ने भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ की मान्यता रद्द की
खेलपथ संवाद
नई दिल्ली। इस समय राष्ट्रीय स्तर पर दो मुक्केबाजी संगठनों में चौधराहट की जंग जारी है। इससे बेशक खेलनहारों को कोई फर्क न पड़ता हो लेकिन उदीयमान मुक्केबाजों के सामने धर्मसंकट की स्थिति जरूर निर्मित हो रही है। बॉक्सिंग संगठनों का मामला जहां अदालत में हिचकोले खा रहा है वहीं दोनों संगठनों के आका अपना-अपना दम ठोक रहे हैं।
भारतीय खेल मंत्रालय ने मंगलवार को तत्काल प्रभाव से भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ की मान्यता रद्द कर दी है क्योंकि मुक्केबाजी संस्था ने दोबारा चुनाव कराने के उसके निर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया है। यह आईएबीएफ के लिए दूसरा बड़ा झटका है, जिसे पहले खेल की वैश्विक मूल संस्था, इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने चुनावों में धांधली और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद समाप्त कर दिया था। “इस मामले पर समग्रता से विचार किया गया है और सभी प्रासंगिक तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि मुक्केबाजी खेल के अंतरराष्ट्रीय महासंघ ने जहां आईएबीएफ से अपनी मान्यता वापस ले ली है वहीं अब खेल मंत्रालय ने भी आईएबीएफ को दी गई मान्यता वापस लेने का निर्णय ले लिया है। यह जानकारी मंत्रालय के एक सूत्र ने दी है।
खेल मंत्रालय ने पहले दिसम्बर 2012 में आईएबीएफ को अंतरिम रूप से निलम्बित कर दिया था। मंत्रालय ने मुक्केबाजी महासंघ को नए सिरे से चुनाव आयोजित करने और अपने संविधान को राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप बनाने के लिए कहा था। "आईएबीएफ को 23 सितम्बर, 2013 को हुए अपने चुनावों को रद्द करने और एक स्वतंत्र रिटर्निंग अधिकारी की देखरेख में राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 के प्रावधानों का पालन करते हुए नए चुनाव कराने के अपने फैसले को सूचित करने का निर्देश दिया गया था।"
मुक्केबाजी खेल के लिए अंतरराष्ट्रीय महासंघ यानी एआईबीए ने भी आईएबीएफ को सलाह दी है कि वह आईएबीएफ के संविधान में उपयुक्त संशोधन करने के बाद अपने चुनाव कराए।
भरोसेमंद सूत्र का कहना है कि आईएबीएफ ने खेल मंत्रालय और एआईबीए के निर्देशों का अनुपालन नहीं किया तथा नियमतः नए चुनाव नहीं कराए हैं। किसी भी राष्ट्रीय खेल महासंघ की मान्यता उसकी कानूनी स्थिति, खेल के लिए अंतरराष्ट्रीय महासंघ से मान्यता, एशियाई महासंघ और ओलम्पिक खेलों के संबंध में आईओए से मान्यता के आधार पर होगी। मंत्रालय के मानदंडों में भारत में एक शीर्ष निकाय के रूप में राष्ट्रीय खेल महासंघ की निर्विवाद स्थिति, खेल के विकास में इसकी भूमिका और योगदान, आयु समूहों में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप का संचालन, वित्तीय और प्रबंधकीय जवाबदेही और निष्पक्ष, पारदर्शी और लोकतांत्रिक चुनाव शामिल हैं।
वर्तमान में, दो गुट राष्ट्रीय निकाय पर नियंत्रण के लिए नूरा-कुश्ती कर रहे हैं। एक का नेतृत्व अभय चौटाला कर रहे हैं, जिन्होंने वर्षों तक आईएबीएफ का नेतृत्व किया है तो दूसरा एक ऐसा समूह है, जो भारतीय एमेच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन की सम्बद्ध राज्य इकाइयों और बोर्डों का समूह है। कथित तौर पर एआईबीए को लिखे एक पत्र में, चौटाला गुट ने "दो या तीन सदस्यों को छोड़कर" अधिकांश राज्य और अन्य मुक्केबाजी संघों के समर्थन का दावा किया है।
जो भी हो अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) और खेल मंत्रालय द्वारा पहले से ही मान्यता प्राप्त बीएफआई को आखिरकार आईओए की मंजूरी मिल गई, जिसने अब तक आईएबीएफ को आधिकारिक निकाय के रूप में पंजीकृत किया था। ओलम्पिक चार्टर स्पष्ट रूप से कहता है कि खेल महासंघ को अंतरराष्ट्रीय निकाय द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। बीएफआई को एआईबीए द्वारा मान्यता दी गई है। इसलिए आईओए ने ओलम्पिक चार्टर को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि आईओए के फैसले से आईएबीएफ की खुद को पुनर्जीवित करने की कोशिशें खत्म हो जाएंगी। खेल मंत्रालय पहले ही आईएबीएफ को भारत का उपयोग करने से रोक दिया था क्योंकि यह अब राष्ट्रीय महासंघ नहीं है।